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निशा तो स्तब्ध रह गई, कुछ भी न कह पाई, उसकी धड़कनें तेज़ हो गईं और हाथों की पकड़ मजबूत हो गई... लेकिन उसके आगे क्या हुआ?
अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव में खाट पर पड़ी माँ अपने हिस्से के किस्से सुनाती, किस्सा बनकर ही हमारे जीवन में रह जाती हैं!
"हां, माजी ना जाने क्यो सुबह उठते ही जी मचलाता है और दिन भर चक्कर आते हैं खाने का भी कुछ जी नहीं करता", बहु ने कहा तो...उसके बाद क्या हुआ?
तेरे कारण मेरी दोनों छोटी बेटियों की शादी नहीं हो पाएगी। लोग कहेंगे कि बड़ी बहन तो खुद पीहर आकर बैठी हुई है, पता नहीं छोटी कैसी होगी।
कितनी बार राकेश से बोला था कि मेरे लिए मेड लगा दो, अब नहीं होता अकेले सारा काम...पर मजाल है जो राकेश उसकी बातों को सुन लें।
ऐसा नहीं बोलते हर्ष वो तुम्हारे पापा हैं और आपको मम्मी-पापा के बीच में नहीं बोलना है और ये सब किसी को नहीं बताना है, वरना...
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