कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

कथा और कविता
अगर ये इतने तंग कपड़े पहनेगी तो इसके साथ ऐसा ही होगा

"दीदी, ये इतने तंग कपड़े क्यूं पहनती है? मना किया तो नहीं मानी अब हम लोग मज़ा नहीं चखाए तो सा* को समझ कैसे आता।”

टिप्पणी देखें ( 0 )
आपके होते हुए आज की बेटी परेशान क्यूँ है?

आज कदम से कदम मिलाकर वो खड़ी है आपके साथ, हौसला बुलंद है, तालीम याफ्ता हैं। फिर भी हमारे समाज के बड़ों का नज़र बंद क्यों है?

टिप्पणी देखें ( 0 )
मैं एक ऐसी माँ की बेटी हूँ जो कभी पीछे नहीं हटी

प्रवेशपत्र मुँह में दबाया, वह नहर पार करने लगी। नहर पार करते गीले कपड़ो व नंगे पैर के साथ स्कूल में उसने प्रवेश किया।

टिप्पणी देखें ( 0 )
मैं आत्मसम्मान से जीना चाहती हूँ!

माँ को देखा हर बात में सर झुका कर, ग़लत को भी सही बताते, यही शिक्षा पाई उनसे, ‘आत्मसम्मान चाहे ना रहे, पर परिवार को तुम बचाना...'

टिप्पणी देखें ( 0 )
मेरी इस सहेली के घर इतिहास दोहराया जा रहा था…

मैं दरवाजे से लौट आई। सहेली के चेहरे पर चढ़ा हुआ मुखौटा जो दिख गया। आधुनिकता का ढोल पीटने वाली मेरी सहेली, विचारों से आधुनिक नहीं हो पाई।

टिप्पणी देखें ( 0 )
बहु, अब तुम सिर्फ आराम करो…

"आ गयी महारानी? ये भी नहीं सोचा कि बताकर जाएं। सारा काम घर में पड़ा हुआ है। मैं घर के कामों की वजह से आज सरला बहन के पास भी नहीं जा पायी।"

टिप्पणी देखें ( 0 )
topic
short-stories-poetry
और पढ़ें !

The Magic Mindset : How to Find Your Happy Place

अपना ईमेल पता दर्ज करें - हर हफ्ते हम आपको दिलचस्प लेख भेजेंगे!

Women In Corporate Allies 2020

All Categories