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शादी में सुभ्रदा कहती हैं, "मैं अच्छे से जानती हूं इन तलाकशुदा औरतों को, खुद का घर बसता नहीं और दुसरों का घर तोड़ने में लगी रहती हैं।"
शादी के बाद प्रियंका को जब पता चला तो वह स्वयं को ठगा हुआ महसूस करने लगी क्योंकि रवि से उसने यह उम्मीद कभी नहीं लगाई थी...
जब भी कोई ख़ास सलाह के लिये बेटी और दामाद को बुलाया जाता तो पूरा परिवार कमरे में बंद हो जाता और अंदर ही अपनी खिचड़ी पकाता। लेकिन घर की बहू?
जीवनसाथी तलाशते हो या बुढ़ापे में सेवा करने के लिए कोई आया, मुझे तो तुम्हारा यह समाज आज तक कुछ समझ में नहीं आया...
बेटी को कुछ घर के काम भी सिखाए हैं या सिर्फ मारना पीटना ही सिखा रही हो। कल को सासू माँ कहेगी कि माँ ने क्या सिखाया है?
जब मेरी माँ अकेली औरत होकर हम बहनों को बेटों की तरह पाल सकती है, तो हम बहनें क्यूँ नहीं उनको अंतिम विदाई दे सकते हैं?
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