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कथा और कविता
अब तुम्हें अपनी दुनिया खुद बदलनी है…

कोई कृष्ण नहीं अब आयेंग, बाधा ख़ुद आप ही हरनी है, अपनी जाति की आज तुम्हें मर्यादा ऊंची करनी है, अब अपनी दुनिया बदलनी है।

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बहु, तुम वही पहनो जो तुम्हें अच्छा लगे…

उसके कपड़े देखकर लोगों की बहू बेटियों पर बुरा असर पड़ता है, लेकिन उस जैसी आत्मनिर्भर लड़की को देखकर वैसा बनने की इच्छा क्यों नहीं पैदा होती?

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हैं चन्द सवाल मेरे इस अंधे ज़माने से…

बस अब बहुत सह लिया, अब और नहीं सहना है मुझको, नहीं चाहिए सहारा किसी का, अब सहारा बनना है मुझको...अब सहारा बनना है मुझको...

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तुमने बेटी पैदा की थी, कोई बेटा नहीं…

पूरे नौ महीने नेहा से घर के सारे काम कराए गए। ये कहकर की घर के काम करने से सामान्य डिलीवरी होगी वरना आपरेशन करना होगा।

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इस रिश्ते को मैं अकेले ही तो निभा रही हूँ…

सुमित ये सुन कर खुशी से उछल पड़ा लेकिन अचानक ही उसके हाव भाव बदल गए और रिया से बोला, "तुम पक्का हो ना? ये हमारा ही है ना?"

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एक बच्चे के लिए मैं शादी क्यों करूँ…

अगर तुम बिन ब्याही मां बनोगी तो लोग अनेक सवाल करेंगे। तुम मां बन भी जाओगी फिर उस बच्चे के पिता को कहां से लाओगी?

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