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हर रोज नमन ऑफिस जाने से पहले कितनी क्या व्यंजन बनेंगे, नमिता को बता के जाते। इतना ख्याल रखने वाला पति पाकर नमिता बहुत ख़ुश थी।
विदा होती हुई बेटियां अपने घर के आँगन की मिट्टी से, अपनी जड़ों को हौले से कुछ यूं उखाड़ती हैं कि उस मिट्टी को भी स्वयं के दरकने का अहसास नहीं हो पाता!
गाड़ी के अंदर रिया अपने फ़ोन में बिजी थी कि तभी किसी ने गाड़ी की खिड़की पे ठक-ठक की। जैसे ही रिया ने नज़रें उठाईं, उसे तो वहीं काठ मार गया।
रवि मुझे समझ नहीं आ रहा कि सब काम का इतना टेंशन क्यों ले रहे हैं? जबकि मिठाई से लेकर सजावट के समान तक सब कुछ बाजार में मिल जाते हैं।
थोड़ी सी पैरों की खराबी के लिए अपनी बेटी के भविष्य को दांव पर नहीं लगने देंगें। मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा तू एक बार फिर से जांच पड़ताल कर...
रूपा को डर था कि राघव के हर डिमांड को बिना सोचे पूरा कर देते हैं ऐसे तो चीज़ों की वैल्यू उसे कभी समझ नहीं आयेगी लेकिन आज...
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