कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
सौम्या को जैसे ही पता चला कि उसके मम्मी-पापा आये हैं। वो दौड़कर उनके पास आयी। अपने पापा को सामने देख वो उनके गले लग गयी।
"शरीर देखा है अपना?" तुमसे इतना सुना कि उसने बिलकुल आराम करना छोड़ दिया! "फैलती जा रही हो!" तुमसे इतना सुना कि उसने खाना छोड़ दिया।
बेफिक्री वाले बचपन कहां है, मां के हाथों की मालिश कराएँ, रूखे पकते बालों का इतिहास गवाह है, बताओ तो हमारे हिस्से का इतवार कहां है?
बेटी अब मां सी हो गई है, जहान का उसके दायरा बढ़ गया है, जिम्मेदारियों में उसकी मां-पापा भी अब शामिल हो गए हैं, बेटी अब मां-सी हो गई है।
दोस्तों, एक बेटी के मन में अपने घर से जुड़ी भावनाओं की मची उथल-पुथल पे रचे हुए इस ताने-बाने पर आपकी प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित करती हैं मीनू झा!
एक बार प्रेम-विवाह और फिर तलाक के बाद हमारी छिछालेदरी करवा के उसका मन नहीं भरा जो अब फिर एक नया राग लेकर बैठ गई है।
अपना ईमेल पता दर्ज करें - हर हफ्ते हम आपको दिलचस्प लेख भेजेंगे!
Please enter your email address