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अगली बार मुझे लाल, हरा, भगवा, नीले रंग का परचम बना देना, अक्सर लोगों के खून में उबाल आ जाता है, पड़े किसी की भी इन पर गलती से भी जो निगाह मैली!
दूसरे दिन बारह बजने को आए पर बहू का कोई अता-पता नहीं! आज तो रसोई की रस्म थी! सुप्रिया जी लोगों के बीच छिपते-छुपाते बहू के कमरे में गईं।
इन प्रश्नों के उत्तर लेने हर वर्ष मैं आता हूँ, एक दुष्कर्म की सजा आज तक पाता हूँ, पर धरती पर चहुँ ओर कितने ही रावण पाता हूँ, सीता से भी बुरी दशा में लाखों को मैं पाता हूँ।
तुमने मर्द बनकर कौन सा नाम कमाया है? शोषण करके स्त्री का मुंह बस दबाया है, बस अपने घमंड को ऊंचा रखने खातिर, रावण का तुमने पुतला जलाया है!
"दरअसल गलती इनकी भी नहीं। इनको इनके माता-पिता पढ़ा लिखाकर आत्मनिर्भर तो बना देते हैं, लेकिन संस्कार देना और घर के काम सीखाना भूल जाते हैं।"
अरे! अरे! अरे! ठीक से बैठो, थोड़ा कम बोलो, मोटी हो गयी हो...कौन करेगा तुमसे शादी?कुछ ऐसी ही बातें तुम मुझे हर रोज़ सुनाया करते हो...
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