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सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षक और नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता बनीं। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत भी माना जाता है।
“मैं जीवन में विश्वास करती हूं, प्रेम में, और प्रकृति के नियमों की महानता में” कहने वाली इज़ाडोरा डंकन का जीवन के संगीत पर नाचता।
आज कित्तूर की रानी चैन्नम्मा का राजमहल और दूसरी इमारतें लोगों को उनसे प्रेरणा लेने को विवश करता है। बेशक उनको भुलाया नहीं जा सकता है।
राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पटल पर भले ही अधिकांश लोग रामदेवी चौधरी को नहीं जानते हों पर उड़ीसा के जनसामन्य में वह आज भी मौजूद हैं।
सत्य रानी चड्ढा भारत के दहेज़ विरोधी आंदोलन का चेहरा बन गयीं। उनके प्रयत्न के कारण अपनी बहुओं को जलाने की हिम्मत कोई नहीं कर पाता।
एक थीं शांति घोष, जिन्होंने किशोर दिनों में वह काम कर दिया जिसके बारे सोचना भी दांतों तले अंगुली दबाने बराबर है। 22 नवबंर 1916 को उनका जन्म हुआ।
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