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कहा जाना चाहिए की भारतीय महिलाओं को मौजूदा दौर में अधिकांश अधिकारों को दिलाने की पहली नींव बाबा भीमराव अंबेडकर ने ही रखी थी।
मणिबेन नानावटी एक आम इंसान के लिए अस्पताल और महिलाओं का आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने की ज़रूरत को अपने जीवन संघर्ष से अच्छे से जानती थीं।
मेरे लिए महादेवी वर्मा की कविता में ये लाइन हमेशा से प्रेरणादायक रही है, “घर तिमीर में, उर तिमीर में, आ! सखि एक दीपक बार ली।”
मेडलीन स्लेड यानि मीरा बहन को भारत में कई लेखक मीरा बाई का दूसरा जन्म मानते हैं और उन्हें बीसवी सदी का मीरा बाई भी कहते हैं।
बेगम रुकैया सखावत हुसैन ने मुस्लिम महिलाओं को शिक्षा के माध्यम से अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागृत करने का प्रयास किया था।
कमला चौधरी के बारे में न तो अधिक जानकारी मिलती है, न ही उनकी तस्वीर उपलब्ध है, बस उनका लिखा साहित्य ही उनकी थोड़ी जानकारी देता है।
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