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जाहिर है सरोजनी नायडू का लालन पालन उस घर के महौल में हो रहा था जो उस वक्त देश के अधिकांश लड़कियों के लिए कल्पना से परे था।
कुतंला कुमारी सबत आजीवन महात्मा गांधी की अनुयायी रहीं और देश की आज़ादी के साथ उन्होंने महिलाओं की पितृसत्तामक गुलामी से भी आज़ादी चाही।
राजकुमारी अमृत कौर कपूरथला की महारानी थीं, पर उन्होंने स्वयं को एक महारानी के तरह ज़ाहिर नहीं किया, लेकिन उनके व्यक्तित्च में एक तेज था!
सत्यवती देवी के जोशपूर्ण भाषणों को सुनने के लिए दिल्ली के रूढ़िवादी समुदायों की महिलाएं बड़ी संख्या में आतीं जिनके बीच वे एक किंदवंती महिला बन गईं।
मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट ने अपनी किताब में उस सामाजिक व्यवस्था की आलोचना की जिसमें स्त्रियों को अच्छी महिला बनने पर जोर दिया जाता है...
डॉ सुशीला नायर के ये सवाल स्त्री आंदोलनों, स्त्री संघर्ष और महिलाओं के सामाजिक विकास में आज भी अपने जवाब की तलाश कर रहे हैं।
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