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सिमोन द बोउवार ने आधी आबादी के अनुभवों को अस्तित्ववादी, दार्शनिक, सामाजिक और राजनीतिक आयाम दिया है और इससे कोई इंकार नहीं कर सकता है।
यह रेणुका रे का संगठन नेतृत्व था कि उन्होंने शरणार्थी शिवरों में चलाए जा रहे स्कूलों से शत-प्रतिशत साक्षरता लोगों को प्रदान की।
स्वतंत्रता की लड़ाई में सुशीला चैन त्रेखन अन्य महिलाओं के साथ बढ़-चढ़ कर भाग लिया करती और पुलिस की यातनाओं का भी सामना करती।
क्या आप जानते हैं कि सावित्री बाई की चित्रकला को देखकर उन्हें परमवीर चक्र तैयार करने का प्रस्ताव दिया गया जो उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया?
डॉ रखमाबाई राऊत के संघर्षों से ही भारत में शादी की उम्र तय करने और हिंदू विधान में महिलाओं के तलाक अधिकार पर बहस की शुरुआत हुई थी।
मुथुलक्ष्मी रेड्डी के प्रयासों से स्थापित कस्तुरबा चिकित्सालय और कैंसर राहत के लिए अखिल भारतीय संस्थान आज एम्स के रूप में प्रसिद्ध हैं।
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