कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
आखिर कितने दिनों तक चलता ये? बीपी और शुगर से ग्रसित होने के बाद रानू को इतनी रियायत दी गई कि वो झाड़ू पोंछे वाली लगा सके। पर इतने से क्या होता?
"फिर और कुछ देखने और पढ़ने का मन नहीं किया। हाँ एक सवाल जो अक्सर मेरा पीछा किया करता है, आज मुझे उसका उत्तर मिल गया था..."
यहां मैं सभी की बात तो नहीं कर रही पर बचपन से ही हमें अक्सर सुनने को मिलता, "तेरा तो व्याह हो जायेगा! तू तो ससुराल चली जायेगी! फिर तेरा यहां कौन?"
आपके पड़ोस में भी कोई ऐसी महिला ज़रूर होगी जो सिर्फ बेटा पैदा होने पर ही खुशियां मनाती होगी। अब उसे क्या पता खुशियों के कारण और भी हैं...
"तुम नया छाता दे तो दोगी, पर अगर शांता दोपहर में वापस करने न आई, तो तुम्हारा अपना छाता तो गया। कल तुम चली जाओगी, वापस आ कर भूल जाओगी..."
"एक बात थी जो जाने कितने दिनों या कह सालों से मेरे अंदर गांठ बनकर पल रही है। पहले वादा कर इस बात से हमारी दोस्ती पर कोई आंँच नहीं आएगी।"
अपना ईमेल पता दर्ज करें - हर हफ्ते हम आपको दिलचस्प लेख भेजेंगे!
Please enter your email address