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युवा नारी
इस युद्ध में मैं खुद ही कृष्ण बनी और खुद ही अर्जुन!

शादी के बाद सुगंधा ससुराल गयी, तो वहाँ कभी खाना मिलता तो कभी नहीं, कभी ये नहीं तो कभी वो नहीं। घर की माली हालात अच्छी न थी।

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अगर ग्रामीण महिला फुटबॉल खेलेंगी तो बिगड़ जाएँगी, बेशर्म हो जाएँगी…

अजमेर के ग्रामीण क्षेत्र की महिला न केवल राष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल में अपनी पहचान बना रही हैं, बल्कि गांव की लड़कियों को राह दिखा रही हैं।

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आज सोचती हूँ ससुराल नहीं तो न सही, नाम तो मिला…

बहुत बुरा लगता मुझे कि मुझे ससुराल और ससुराल के रिश्ते होते हुए भी कुछ नहीं मिला। और मेरे ही कारण मेरे पति भी परिवार से अलग हो गए...

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मैं सिर्फ शादी करने के लिए पैदा नहीं हुई…

अब घरवाले उसकी शादी की तैयारी कर रहे थे। जैसे-तैसे उसने अपने माँ-पिता को बहुत अच्छे से समझा कर दो साल शादी न करने के लिए मना लिया।

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सात फेरों का छठा वचन याद है ना आपको…

"कोई नहीं... आप निकलिए वरना लेट हो जाएंगे आफिस के लिए", श्वेता असहज होती हुई बोली क्योंकि पड़ोसी भी बाहर निकल आए थे।

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पिक्चर तो अभी बाकी है मेरे दोस्त…

“अगर तुम पनवेल शिफ्ट नहीं हो सकती, तो तुम्हें काम छोड़ना पड़ेगा, हेमा।” सर के शब्द सुनने के बाद मैं कुछ समझ पाने के स्तिथि मैं ही नहीं थी।

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