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हमारे पाठकों का मानना है कि 2020 ने हमें विलासिता के बिना जीने का महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाया और एक नए नज़रिये से जीवन को देखने का मौका दिया।
अगर, कोई लड़की पहल कर दे तो वो डेस्परेट कहलाती है। और अगर, न करे, तो भाव खाती है। लड़कियाँ दोनों तरफ से फंसी हुई हैं।
जब से इस फेस्टिवल और शादी के सीज़न की शुरुआत हुयी है, तब से मैं सबसे ज़्यादा मिस कर रही हूँ रिश्तेदारों के इन इर्रिटेटिंग सवालों को...
ऐसा नहीं है कि शादी का महत्व बिलकुल समाप्त हो गया है। बस शादी के मूल्य बदल चुके हैं। आज सिर्फ इज्जत पाने तथा दिखावे के लिए कोई शादी नहीं करना चाहता।
हमें एक घर चाहिए, एक ऐसा घर जिसे इस बात से फर्क नहीं पड़े कि वह मायका है या ससुराल लेकिन इस बात से फर्क पड़े कि मैं वहां मैं बन कर रह पाऊँ।
छोड़ो ये नौकरी करने का चक्कर, आराम से घर में रहने और सोने को मिलता है तो, मुझे समझ नहीं आता कि तुम औरतें नौकरी क्यूँ करना चाहती हो?
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